विधायक कुंवर सिंह निषाद को मिला कांग्रेस से टिकट
बालोद। गुण्डरदेही विधानसभा क्षेत्र में लोकप्रिय विधायक के नाम से पहचाने जाने वाले, जनहितैषी, रोजाना अपने घर में जनता दरबार लगाकर लोगों की समस्याओं पर त्वरित निराकरण करने वाले विधायक कुंवर सिंह निषाद पर एक बार फिर से कांग्रेस ने दांव खेला है। गुण्डरदेही सीट पर उन्हें अपना अधिकृत प्रत्याशी बनाया गया है। इस बात की अधिकृत सूची जारी होने के बाद से पूरे विधानसभा क्षेत्र में उनके गृह नगर अर्जुंदा, गुंडरदेही सहित संपूर्ण गांव में जश्न का माहौल देखने को मिल रहा है। एक बार फिर मुख्यमंत्री गुरू भूपेश बघेल के करीबी माने जाने वाले उनके “चेला” कहे जाने वाले कुंवर सिंह निषाद पर कांग्रेस ने भरोसा जताते हुए जीत की उम्मीद के साथ उन्हें टिकट दिया है। ज्ञात हो की इस क्षेत्र में भाजपा ने पूर्व विधायक रहे वीरेंद्र साहू को मैदान में उतारा है तो वही कांग्रेस ने फिर से कुंवर निषाद को टिकट देकर अपनी पिछली जीत को कायम रखने की रणनीति में जुट गई है। बता दे की कुंवर सिंह निषाद पार्टी के संगठन के साथ-साथ जनता के भी चहेते हैं। जब से वे विधायक बने तब से लगातार अपने घर पर ही रोजाना जनता दरबार लगाते हैं। लोगों को दफ्तरों में जाने की जरूरत नहीं पड़ती। कहीं भी कोई शिकायत या समस्या होती है तो लोग उनके घर पर ही आते हैं। सुबह 8:30 बजे से ही वे घर पर ही बैठकर लोगों की समस्या सुनते हैं। आज भी अनवरत उनका यह जनदर्शन का सिलसिला जारी है। लोगों की समस्याओं का मौके पर ही निदान करवाने के चलते हुए जन चहेते बने हुए हैं और क्षेत्र के विकास के लिए भी अपने विगत 5 साल के कार्यकाल में उन्होंने कई ऐसे कार्य करवाए जो कई वर्षों से लंबित रहे थे। इन्हीं सब कार्यों और जनता के प्रति संवेदनशीलता को देखते हुए कांग्रेस ने उन्हें फिर से टिकट दिया है। ऐसा है उनका पृष्ठभूमि गुंडरदेही विधायक कुंवर सिंह निषाद, निषाद समाज से पहले ऐसे विधायक हैं जिन्हें 2018 में किसी राष्ट्रीय पार्टी ने टिकट दी थी। वह 2018 में पहली बार कांग्रेस की टिकट पर विधायक चुने गए हैं। उन्होंने भाजपा के दीपक ताराचंद साहू को 55000 वोटों के अंतर से हराया है। कुंवर सिंह निषाद ने विधानसभा चुनाव में पूरे प्रदेश में तीसरे नंबर पर लीड हासिल कर अपनी रिकार्ड मतों से जीत दर्ज करवाई थी। वे निषाद समाज के प्रदेश अध्यक्ष भी है। अत्यंत गरीब घर में जन्मे कुंवर सिंह निषाद के माता-पिता पढ़े लिखे नहीं हैं। यहां तक कि उनके भाई ने भी पढ़ाई नहीं की है। जबकि कुंवर सिंह निषाद ने राजनीति शास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। बेहद गरीब घर में जन्मे कुंवर सिंह निषाद परिवार चलाने के लिए अपने पिता और भाई के साथ मछली पकड़ने का काम करते थे। पहली बार जब उन्हें टिकट मिला तो कांग्रेस के कुछ नेताओं ने भी विरोध किया था। लेकिन जब वे पूरे छत्तीसगढ़ में काफी बड़ी अंतर के साथ चुनाव जीते तो विरोधी नेता हैरान रह गए और सबके उनके साथ हो गए ।उनके चुनाव लड़ने के लिए निषाद समाज के लोगों ने भी चंदा इकट्ठा किया था। सीमित संसाधनों में अपने पिता और भाई के साथ पैदल ही विधानसभा में घूम घूम कर उन्होंने अपने लिए वोट मांगा और जनता ने भी उन्हें हाथों हाथ लिया था। कुंवर सिंह निषाद एक लोक कलाकार भी हैं। उन्होंने छत्तीसगढ़ के लोकगीत व नृत्य के साथ टेली फिल्मों में भी काम किया है। जिसके चलते भी उन्हें काफी प्रसिद्धि मिली है। 2020 में उन्हें राज्य सरकार ने संसदीय सचिव बनाया। अब 2023 के चुनाव में कांग्रेस ने दुबारा टिकट देकर पुरानी जीत को दोहराने की कोशिश में लग गई है।